टुकड़े टुकड़े ख्वाब के जोड़े मैन
पहले फरेबी सच्चाइयों को तोड़े मैंने
जो न था पास ज़ज़्बा जीने का
कतरा कतरा सब धागे में पिरोये मैंने
उठ कर जो चला मैं मंज़िल की ऒर
न जाने कितने ज़ख्मो को कुरेदे मैने
बढ़ता रहूंगा यही ठाना है
चाहे जितने भी रिश्ते पीछे छोड़े मैने
#ra
@GeekPoet